ITS A JUNGLE OUT THERE & ITS U WHO S ON THEIR HUNTING RADAR.........................

ITS A JUNGLE OUT THERE & ITS UR MONEY WHICH IS ON HUNT.........................

Tuesday, May 17, 2011

KSB PUMPS : technically a good profit making opportunity

Dear friends

Was off for a while due to various reasons, prevailing time to time viz health issue, business issue, net availability issue, new accmodation issue etc.

off late, it was quite easy for me to understand during this phase that trading is a skill which requires lots of lots of patience for money making. its a fabulous money making prospect only if u are patient enough to hold to bet ur money , waiting patiently for a right kind of set up.

hence, now onwards i have decided to limit myself to a fewer no. of trades and fewer no. of posts.

one amongst them is KSB PUMPS, time to go long in this stock, with no stop loss required.

b coz, risk involoved is only 2-5 % but potential profits could be more than 15 %. buy it close to 227 and below and start booking ur profits above the range of 258-262.if volumes in the stock starts picking up to more than 10000-12000 shares at a given day before 12 am, that is the confirmation of good days coming.

good luck to u all

happy sailing

OM SAI RAM

6 comments:

rochak parekh said...
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rochak parekh said...
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rochak parekh said...
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rochak parekh said...

शहनाई की कर्कशा
शर्मा जी , बधाई हो, शादी की जिम्मेदारी से बरी हो गए. अब तो आप मुक्त हो गए हो.
शर्मा जी - नहीं भाई पटवर्धन, अभी कहाँ , अभी तो कन्यादान किया है, पिता का फ़र्ज़ निभाया है. असली फ़र्ज़ तो निभाना बाकि है.
पटवर्धन - असली फ़र्ज़, अजी अब कौन सा फ़र्ज़ , शर्मा जी ?
शर्मा जी - एक देशवासी होने का फ़र्ज़, जिस से चुकेगा भारत माँ का क़र्ज़
पटवर्धन - क्या सठियाने की बाते करते हो शर्मा जी, किस ज़माने की बात करते हो. अजी राम नाम भजो. हमारा देश आज़ाद हुए तो ६५ बरस हुए.
शर्मा जी - आज़ादी, किस आज़ादी की बात करते हो पटवर्धन, असली आज़ादी तो अभी बाकी है. आज़ादी, आज़ादी से सांस लेने की. अमा, दम घुटने लगा है मेरा इस आबोहवा में, १-१ सांस भरी लगती है अब तो. सुबह अखबार उठाओ तो हर एक सुर्खी पर एक घोटाला छाया हुआ है. ऐसा लगता है जैसे अखबार का एक एक लफ्ज़ उठ कर गाल पर तमाचे रसीद कर रहा हो. इस बीच कोई बड़ा घोटाला सामने आता है, तो बस लगता है कि बस, इस से बड़ा घोटाला अब नहीं सामने आने वाला. अगली सुबह , फिर वही घोटाला.
श्रीमती शर्मा - अजी शर्मा जी, सुनते हो, जरा आकर मेरे काम में हाथ बटा दो, फटाफट काम निपटे, तो हम जरा गंगा जी नहा के आ जाये.
पटवर्धन - अरे भाभी जी, कहा के गंगा नहाने कि बाते कर रही हो आप ? शर्मा जी तो गंगा जी को ही पवित्र करने चले.
श्रीमती शर्मा - क्यों जी, ये में क्या सुन रही हु ? क्या आपने फिर से वही पुराना राग अलापना शुरू कर दिया ?
कश्यप - अरे ओ शर्मा जी, ओ भाभी जी, कहा जाने का कार्यक्रम बन रहा है आप लोगो का, गंगोत्री या, यमनोत्री.
पटवर्धन - अरे भाई कश्यप, तुम ही समझाओ जरा इनको, देश के प्रति अपना फ़र्ज़ निभाने कि बात करते है, अरे अभी कन्यादान का अपना फ़र्ज़ भी पूरी तरह निभा नहीं है इनका.
कश्यप - शर्मा जी, समझाया तो था मैंने आपको, देश के प्रति अपने हर फ़र्ज़ को भली भांति निभाया है आपने.सभी तरह के टैक्स आप समय पर चुकाते आये है. २६ जनवरी हो या १५ अगस्त, झंडा फहराने स्टेडियम अवश्य ही जाते है. अच्छे से याद है मुझे कारगिल युद्ध के समय सैनिक कल्याण कोष में रु ११००० का योगदान दिया था आपने. और क्या करना चाहते है भाई आप.
शर्मा जी - पटवर्धन/कश्यप, क्या सभी टैक्स समय पर भरने से हो गयी देश के प्रति जवाबदेही पूरी, क्या ११००० रु के योगदान से हो गया देशभक्ति का खेला पूरा. क्या देशभक्ति के सेमिनारो में हिस्सा ले के, तालिया पीट देने से होगया मिशन पूरा. नहीं दोस्तों नहीं, असली जवाबदारी तो अब में महसूस करता हु, जब मेरी सोच मेरे विचारो को एक शरीर मिल गया है
कश्यप - क्या मतलब
शर्मा जी - आज जब देश के १२० करोड़ लोगो से फिजूल/बेफिजूल वसूले जा रही एक एक पाई का हिसाब किताब मांगने ७४ बरस का एक जवां मर्द, सीना ताने खड़ा हुआ है, तो गौर से सोचने पर महसूस होगा तुम लोगो को, कि यह बन्दा लड़ाई और किसी के लिए नहीं, हमारे लिए ही तो लड़ रहा है.
पटवर्धन - बात तो सही कह रहे हो शर्मा जी. खून तो मेरा भी खौलता है, जब में अपने आसपास कदम दम कदम, दम तोडती सड़के, बिमारो को और भी बीमार कर देवे, ऐसे अस्पताल, उच्च शिक्षा के अभाव में सडको पर आवारा भटक रहे भावी पीडी के नुमाइंदो, उदघाटन से भी पहले दम तोड़ते पुलों, कदम दर कदम हमकदम होते टॉल नाको से रूबरू होता हु तो.

rochak parekh said...

श्रीमती शर्मा - अरे अरे पटवर्धन जी, यह देशभक्ति कि बाते करते करते कहा चल दिए. अस्पताल, स्कुल, सड़के, पुल, वगेरह वगेरह. यह क्या है भाई.
कश्यप - यह सही तो कह रहे है भाभी जी. देखिये में आपको समझाता हु. शर्मा जी देते है टैक्स. संपत्ति कर, शिक्षा उप कर, wealth टैक्स, income टैक्स, registry टैक्स, सर्विस टैक्स,यह टैक्स, वोह टैक्स, फलाना टैक्स, धिमका टैक्स, जीने का टैक्स, मरने का टैक्स, वगेरह वगेरह.
पटवर्धन - यह पूरा टैक्स जमा होता है सरकारी खजाने में. यह टैक्स न होके हम देशवासियों का बूंद बूंद योगदान है, देश कि तरक्की के लिए.
शर्मा जी - और भागवान, अपने आसपास हम जो भी सरकारी इन्तेजामात देखते हो, पुल हो, सड़के हो, स्कूल हो, पीने का पानी हो, या गटर का पाईप , सब इन्ही पैसो से कराया जाता है.
पटवर्धन - पर भाभी जी, १ रु के काम को करने के लिए २५ रु से ले के १०० रु तक का जो जमाखर्च कागजो पर बता दिया जाता है, तो यह जो हराम का पैसा जाता किसकी जेबों में है.
कश्यप - अफसरों, अधिकारियो, कर्मचारियों, ठेकेदारों, पूंजीपतियों, और इन सभी को अपने फायदे के लिए, इस्तेमाल करने वाले नेताओ के.
काम वाली बाई - सही कहा आपने साहिब, तभी तो हमारे पास कि झुपड़िया में जो नेताजी रहा करते थे, वोह २ चुनाव जीत के साथ ही फूल के भैसा हुयी गवा है.
पटवर्धन - और जानती हो बाई, बरी तो तुम भी नहीं हो, इस भ्रष्टाचार से.
काम वाली बाई - वोह कैसे साहिब, हमाओ तो झुपड़िया में रहन वाल गरीब लोगों का क्या छीन लहे वोह
कश्यप - अरे अनाज तो तुम भी खाते हो, राशन कार्ड तो तुम्हे लगता ही है न, क्या तुम्हारे घर में सिलेंडर नहीं लगता, क्या तुम बसों में ट्रेनों में सफ़र नहीं करते, अरे तुम क्या पैदा नहीं होते, कि क्या तुम मरते नहीं हो. अगर हां, तो तुम्हारे आंगनवाडी से ले कर, तुम्हारे शमशान तक, तुम्हारे अपने तुम्हारा साथ न देते हो, पर यह चोर तो शमशान तक तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ते, तुम्हारा कफ़न चुराने के वास्ते.
काम वाली बाई - सही कहा हो साहिब, अब आप सब लोगन , कुछ करो न करो, लड़ो न लड़ो. पर में रोज का कुआं खोदने वाली, रोज पानी पीने वाली बाई आज एक शपथ लेती है साहिब, कि में मेरा गाढ़ी कमाई का एक नया पैसा कभी भी घुस नको खिलाएगी साहिब, साथ ही मेरे से जितना बन पड़ेगा न साहिब, उतना में तो इस लड़ाई में अन्ना जी का साथ दूंगी ही, साथ ही मेरे बस्ती वालो को भी समझाएगी कि, यह लड़ाई उनके आज कि है, उनके कल कि है. हव
कश्यप - तुम अकेली क्या, गंगू बाई, आज में भी शपथ लेता है, कि भले एक घंटा ही सही, भले एक रैली ही सही, भले एक नारा ही सही, और भले एक बैठक ही सही, में इस आन्दोलन से जुड़ा हु और जुडा रहूँगा.
पटवर्धन - सही कहते हो भाई कश्यप, आज नहीं तो कभी नहीं, अभी नहीं तो कभी नहीं. यह मौका हाथ से निकल गया तो जाने कितने साल, कितने युग लग जाये, एक नया अन्ना पैदा होने को, हमे राह दिखलाने के लिए.
शर्मा जी - दोस्तों , याद रखो, आज से ३०-४० सालो बाद, जब आपकी आने वाली पीढ़ी आपसे पुच्छे कि सन २०११ में जब एक निस्वार्थ बुजुर्ग, हमारे देश के भविष्य के लिए लड़ने के लिए मैदान में उतरा तो आप क्या कर रहे थे, तो हमारे पास, जवाब देने को कुछ तो होना चाहिए.
आओ हम सब शपथ ले, शपथ ले, शपथ ले.

rochak parekh said...
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